ऐसी पिलाई साकी कुर्बान हो चुके हम
अब तक रहे जो बाकी अरमान खो चुके हम।।
करते हो दिल्लगी तुम अव्वल बनाके पागल
कूचे में तेरे आकर बदनाम हो चुके हम।।
पहला ही जाम भरकर ऐसा हमे पिलाया
सारी अक्ल हुनर खो नादान हो चुके हम।।
बिल्कुल नही रहे अब दुनिया के काम के कुछ
बस अब तो तेरे दर के मेहमान हो चुके हम।।
रहती हवस ये दिल मे भर भर के जाम पियें
इनकार तुम ना करना इकरार कर चुके हम।।
- कहीं तो बेबस बिलख रहे हैं कहीं तो तड़प रहे
- भक्त खडा तेरे द्वार अर्जी ले कर के
- कर भजन हर श्वास रे मन तू
- जगत में कोई ना परमानेंट तेल चमेली चन्दन साबुन चाहे लगा लो सेंट
- दया की आस में भगवन तेरे दरबार आया हूँ
- चार दिनों का ताप ये कैसा फिर विपदा है लाई
- प्रार्थना कर जगत के पालनहार से
- प्रभु तुम्हीं ने दिया है जीवन तुम हीं इसे बचाना
- गौ माता की सेवा करले समझले हो गए चारो धाम
- बिना मथले न निकली रतन हीरा
- भजनाँ सँ लागैे मीरा मीठी रे
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