कहीं तो बेबस बिलख रहे हैं, कहीं तो तड़प रहे
कहीं तो सांसो की गिनती में लाखों भटक रहे
बंद है तेरे सब दरवाज़े कैसे तुझे मनाएँ।।
कितनों को कांधे ना मिल रहे, क्या क्या तुझे बताएं
के एक बारी आओ प्रभु, के दरश दिखाओ प्रभु।।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गिरिजा घर होकर आए
तेरे बिन अब कौन सहारा, कुछ भी समझ ना आये।।
हर चोंखट पर माथा टेका कहीं तो तू मिल जाये
कौन सा मंत्र जपूं मैं भगवान, तुम धरती पर आओ।।
दुविधा भारी आन पड़ी है, आकर इसे उठाओ
के एक वारी आओ प्रभु, के दरश दिखाओ प्रभु।।
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