पंच कंजका दे बाद नि माये
पहला लोकड़ा पाया
तेरा शेर मेरे घर आया।।
हर वारी मैं रखा नवराते माँ
हर वारी कंजका बिठावा
सचे मुह नाल करा आरती
माँ तेनु भोग लगावा
मेरे उते होगी माता तेरे छतर छाया
तेरा शेर मेरे घर आया।।
दुनिया दे हर मंदिर दे विच माँ जाके तरले पाए,
दान दक्षना तिरकी ते कीने ठेडे खाए
तेरे पवन तो मिलिया मुरादा तू एह बूटा लाया
तेरा शेर मेरे घर आया।।
दया दी दृष्टि मेरे उते किती मेहरा वाली
इस बछड़े नु तत्ती हवा न लगे करी रखवाली
अंधारे विच महारानी ने प्यारा दीप जलाया
तेरा शेर मेरे घर आया।।
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