प्रीत रंग हल्दी प्रेम से लगायो
शगुन शुभ मंगल व्याह गीत गाओ
कोमल अंग निखारी हल्दी
तन शिंगार सवारी हल्दी
कमल तन कोमल कनक बनाओ
प्रीत रंग हल्दी प्रेम से लगायो।।
राम के तन पर सोहे हल्दी
शोभा कही न जाए रघुवर की।।
सगल देविया नार रूप धर
हल्दी लगाती सिया के तन पर,
सिया की शोभा निरख निरख कर
धरती हर्षित चरण चूम कर
सुखद शरण आये मंगल मनाओ
प्रीत रंग हल्दी प्रेम से लगायो।।
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