बिना मथले न निकली रतन हीरा
ध्रुव जी मथले प्रह्लाद जी मथले
नारद जी मथले बजाय वीणा,
बिना मथले न निकली रतन हीरा।।
काठ के मथनियाँ से दहिया मथाला,
ज्ञान के मथनियाँ चलेला धीरा,
बिना मथले न निकली रतन हीरा।।
कहत कबीर सुन ए भाई साधो,
ये जीवन के मिट्टी अनमोल हीरा,
बिना मथले न निकली रतन हीरा।।
Pingback: गौ माता की सेवा करले समझले हो गए चारो धाम – bhakti.lyrics-in-hindi.com
Pingback: ऐसी पिलाई साकी कुर्बान हो चुके हम – bhakti.lyrics-in-hindi.com
Pingback: bhajan lyrics in hindi – bhakti.lyrics-in-hindi.com