मेरी माँ की चुनरिया लाल रे
माँ तेरा शिंगार निराला गोरा मुखड़ा केश है काला
चन रूप सा कान का बाला
कभी पुष्प कभी मुंड की माला
मेरी माँ की चुनरिया लाल रे।।
वंदन करते शिव त्रिपुरारी अष्ट भुजी कभी खप्पर धारी
करते इस्तुती मिल नर नारी
मन मेरा जाए वारी वारि सज गई पूजा थाल रे
मेरी माँ की चुनरिया लाल रे।।
सब से दुःख मैं केह ना पाऊ चुप चाऊ पर रेह न पाऊ
तेरे सिवा माँ किस को बताऊ
दुखिया मन है कैसे गाऊ हर डर मन की टाल रे
मेरी माँ की चुनरिया लाल रे।।
मुझपर दुःख का भोज बड़ा है दुशमन आकर द्वार चड़ा है
यम दरवाजे आके खड़ा है प्राणों पे मेरी आन पड़ा है
बन जा अब वो ढाल रे
मेरी माँ की चुनरिया लाल रे।।
सब मतलब के साथी मैया तेरे सिवा न कोई ख्वैयाँ
पार लगावो अब मेरी नैया बहुत हो चूका ता ता थैया
नाचू तिन तिन ताल रे
मेरी माँ की चुनरिया लाल रे।।
भाग सवारी पर चढ़ आओ मेरे सब दुःख दूर भगाओ
आओ माता आओ आओ कष्ट निवारनी ररूप दिखाओ
दुशमन होवे बेहाल रे
मेरी माँ की चुनरिया लाल रे।।
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