ये सिधि विनायक है गज रूप निराला है,
विघन हरता मेरे को सब विघ्नो को टाला है
संकट में नैया हो देवा ने संभाला है
विघन हरता मेरे को सब विघ्नो को टाला है।।
शंकर जी ने स्वयम तुझको गज शीश लगाया है,
पेहले पूजा तुम्हारा प्रथमेश बनाया है,
दुखो और कलेशो से तुम ने भगतो को निकाला है
विघन हरता मेरे को सब विघ्नो को टाला है।।
माँ बाप के चरणों की तुमने परिकर्मा की,
तुम श्रेष्ठ हो बुधी में पदवी ये हासिल की
अंधियारे जीवन में तुमने भरा उजाला है
विघन हरता मेरे को सब विघ्नो को टाला है।।
गोरा माँ के प्यारे हो शिव जी के दुलारे हो,
नंदी भंगी शिव घन तू सब के ही सहारे हो
पिताम्भर पेहने और ओड दुशाला है
भग विधनो को टाला है
विघन हरता मेरे को सब विघ्नो को टाला है।।
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