राम जी की शरण में, इक बार जो भी आ गया,
वो बशर तो जिन्दगी में, परम पद को पा गया।।
देखलो हनुमान जी को क्या कृपा श्री राम की,
भक्ति और शक्ति का वैभव, कितना उनमें आ गया,
वो बशर तो जिन्दगी में, परम पद को पा गया,
राम जी की शरण में, इक बार जो भी आ गया।।
कौन थी वो भीलनी जिसको प्रभु ने माँ कहा,
सूर्यवंशी अवध का, बेर जूठे खा गया,
वो बशर तो जिन्दगी में, परम पद को पा गया,
राम जी की शरण में, इक बार जो भी आ गया।।
राम जी हैं आपके और आप हो श्री राम के,
ये अटल विशवास जिस दिन, आप में भी आ गया,
वो बशर तो जिन्दगी में, परम पद को पा गया,
राम जी की शरण में, इक बार जो भी आ गया।।
क्या कहे ‘राजीव’ करुणा बह रही रघुनाथ की,
था विभीषण किसका भाई, जो प्रभु को भा गया,
मेरे राम, मेरे राम, मेरे राम, मेरे राम,
राम जी की शरण में, इक बार जो भी आ गया।।