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कबीर खड़ा बाज़ार में लिए लकुटी हाथ,
जो घर फूंके आपणा चले हमारे साथ।।
हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगाना,
हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगाना।।
लोक लाज तज भए भिखारी लिया फ़कीरी बाना,
आज यहाँ कल और कहीं है भीख माँगकर खाना,
हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगाना।।
रूखी सुखी प्रीत हमारी धोखे में मत आना,
निर्मोही कहे लोग पुकारें मैं फ़क़ीर मस्ताना,
हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगाना।।
हम पंछी अब जाने वाले मुझको करो रवाना,
अंतिम मोरी यही विदाई प्रेम नहीं ठुकराना,
हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगाना।।
परम पुरुष की यही विदाई आखिर यहाँ से जाना,
कहे कबीर सा, प्रेम वर मिल्यो कल का कौन ठिकाना,
हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगाना।।
Rajasthani Bhajan Lyrics
- हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगाना
- पंछीड़ा लाल आछी पढ़ियो रे उलटी पाटी
- ढोलर बाज्यों रे सईयों आई सावण तीज सुहावणी
- अणा चेत को आयो मारा बापू वानर है के कई है
- अंजनी का रे लाल आछी रे सरजीवण बूटी लायो
- हम पंछी परदेशी मुसाफ़िर आये हैं सैलानी
- किसको कहूँ भजन री बाताँ लोग भरम में भुला हो
- काया ने सिंगार कोयलिया पर मंडली मत ज्याजे रै
- डाली कर जोड़ सुनावे निज सतगुरु ने समझावे
- हरी ने हिये नहीं धारा रे
- धक धक धड़के काळजो
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