दिनों के हो दयालू ,मुझको जरा संभालो,
तेरे दर पे आ गिरा हूं ,मुझको जरा उठा लो,
कल तक थे जो यह अपने,सब हो गए पराए,
मुश्किल की इस घड़ी में,कोई ना काम आए,
अपना मुझे बना कर ,दुनिया को यह बता दो,
कश्ती भंवर में मेरी, सूजे नहीं किनारा,
कोशिश तमाम कर ली ,मिलता नहीं सहारा,
मैं पुकार कर रहा हूं ,आकर मुझे निकालो,
तेरे दर का मै भिखारी, बन करके अब रहूंगा,
कुछ ना कहूं किसी से, तुझ को ही सब कहूंगा,
मेरा हाथ अब पकड़ कर , मुझको गले लगा लो,