कागा सब तन खाईयो चुन चुन खाईयो मास ,
मेरे दो नैना मत खाईयो मुजे पीयु मिलन को आस…..
धरती सोरठ देशनी, ऊंचो गढ गीरनार
सावजळा सेंजण पीवे, ऐना नमणां नर ने नार
लाल कसुंबल आंखडी, तारी पाघडीये पाणी
तने प्रथम अर्पण करु, मारा कवी मेघाणी
सुंदर भोम सोरठ तणी, ज्यां निर्मळ वहेता नीर
ज्यां जाहल जेवी बेनळी, ने नवघण जेवो विर
सोरठ धरा न संचयरयो, न चढयो गढ गिरनार ।
न नाहयो दामो गोमती, ऐनो ऐले गयो अवतार ।