कैला मां लागे प्यारी मैं जाऊं रे बलिहारी
मैया की सूरत मन मोहे, सोने को सिर छत्तर सोहे
चुनर की शोभा न्यारी मैं जाऊं रे बलिहारी
नैनों में ममता झलक रही, माथे पर बिंदिया चमक रही
जैसे चंदा की उजियारी मैं जाऊं रे बलिहारी
गले में फूलों के हार सजे, हाथों में है हथियार सजे
मां करती शेर सवारी में जाऊं रे बलिहारी
नजरों से प्रेम सुधा बरसे, दर्शन को सबका मन तरसे
सच कहता आज अनाड़ी मैं जाऊं रे बलिहारी