मैं सतगुरु वाली हो गई आ,
मेनू नशा नाम दा रहंदा ए,
मैं सतगुरु वाली हो गई आ,
नाम रस मैं पीता अंदर मिट गये सारे दुःख दलीदर,
मैं कमली कमली हो गई आ मेनू नशा नाम दा रहंदा ऐ,
मैं सतगुरु वाली हो गई आ,
सतुगुरु मेरे सब तो सोहने ऐना वरगे हो नि होने,
देख भूख जन्मा दी लहन्दी आ मेनू नशा नाम दा रहंदा ऐ,
मैं सतगुरु वाली हो गई आ,
ओहदी महिमा गाऊंदी फिरदी लोका नु स्मजौंदी फिरदी,
जे जिन्दगी पार लंगाउनी आ मेनू नशा नाम दा रहंदा ए,
मैं सतगुरु वाली हो गई आ,
रहिये वाले ने मन समजाया रोशन गुरु रविदास नु पाया,
लेखक महिमा सब नु सुनाउनियाँ मेनू नशा नाम दा रहंदा ऐ