सखी रे मैं वृन्दावन जाऊ,
बांके बिहारी के दर्शन पाउ,
छैल बिहारी संग नाचू गाउ,
बजे ताल पे ताल,
मैं ठुमका लगाऊ भजे ताल पे ताल
छोड़ दिये मैंने झूठे जग के नजारे है,
अब तो सखी री मुझे ठाकुर ही प्यारे है,
मस्तानी जोगन बन जाऊ गीत उसी के हर पल गाउ,
सँवारे के संग प्रीत लगाऊ छोड़ दे जन जंजाल,
मैं ठुमका लगाऊ भजे ताल पे ताल
कुञ्ज बिहारी को रीज रजाउ मैं शयामा श्याम के रंग रंग जाऊ मैं,
जग की न परवाह करुँगी लोक लाज से ना ही डरु गी,
जो मन आये सोही मैं करुँगी चलु गी अपनी चाल,
मैं ठुमका लगाऊ भजे ताल पे ताल
मैं बांके की बांका मेरा बांका ही है परम धन मेरा,
छटा पे उसकी वारि जाऊ सर्व शीश अपना लुटाऊ.
मधुप हरी बलिहारी जाऊ मेरे बांके बिहारी लाल,
मैं ठुमका लगाऊ भजे ताल पे ताल
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