कहानी- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

एकता की ताकत कहानी 

राजू रामपुर में रहता है। रामपुर छोटा सा गाँव है। गाँव में हरे भरे पेड़ हैं। गाँव में एक चौपाल भी है। गाँव में सुन्दर सुन्दर खेत हैं।

एक दिन की बात है। राजू का जन्म-दिन था। राजू के पिताजी मिठाई लेकर आये। राजू ने सबको मिठाई बाँटी। मिठाई का एक छोटा सा टुकड़ा जमीन पर गिर गया। थोड़ी देर बाद वहाँ चींटियाँ आ गयीं। सारी चींटियाँ मिलकर उस मिठाई के टुकड़े को लेकर जाने लगीं। राजू दौड़कर अपने पिताजी के पास गया और उसने अपने पिताजी को बताया कि बहुत सारी चींटियाँ मिल कर मिठाई के टुकड़े को ले जा रहीं हैं। राजू के पिताजी ने समझाया – ”बेटे , एकता में बड़ी ताकत होती है। ”
” एकता क्या होती है, पिताजी ?” राजू ने पूछा।

राजू के पिता जी ने समझाया — ”एकता का मतलब है – मिलकर काम करना। जैसे छोटे छोटे तिनकों से मिलकर जब रस्सी बनती है , तो उससे बड़े से बड़े जानवर भी वश में किये जा सकते हैं। मिलकर काम करने से कोई भी काम सरल हो जाता है। जो मिलकर रहते हैं , उन्हें कम परेशानी उठानी पड़ती है और उनका जीवन सुख से भर जाता है।

 

देवता की सीख कहानी

 

गाँव में एक मंदिर था। मंदिर के पास एक महात्मा जी रहते थे। वे मंदिर के देवता की पूजा और आरती करते थे।
माधव एक होनहार बच्चा था। वह पढ़ाई में बहुत होशियार था। माधव कभी कभी महात्मा जी के पास चला जाता था। महात्मा जी उसे बहुत प्यार करते थे।
एक दिन माधव ने महात्मा जी से पूछा – ” बाबा , क्या देवता सचमुच होते हैं ?”
” हाँ , बेटा ” महात्मा जी ने कहा।
”देवता क्या करते हैं ? ” माधव ने पूछा।
” वह सब कुछ कर सकते हैं। सब कुछ दे सकते हैं ” महात्मा जी बोले।

माधव देवता के मंदिर में गया और मन ही मन देवता से कुछ माँगा। उसे लगा देवता ने उसकी बात मान ली है। धीरे धीरे माधव खेलकूद पर अधिक ध्यान देने लगा।

एक दिन माधव ने सपना देखा। देवता सामने खड़े थे। उन्होंने माधव से कहा – ” यह सही है कि मैं सब कुछ दे सकता हूँ, किन्तु जो मेहनत करते हैं , उन्हीं को देता हूँ। जो मेहनत नहीं करते ,उन्हें कुछ नहीं देता। यदि मैं बिना मेहनत करने वालों को देता रहा ,तो सब आलसी हो जायेंगे। तुम्हारा खेलने जाना तो ठीक है परन्तु पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दो। अगर पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया तो दूसरे बच्चे तुमसे आगे निकल जायेंगे। ”

नींद से जागने पर माधव ने महात्मा जी को अपने सपने के बारे में बताया। महात्मा जी ने कहा – देवता भी मेहनत करने वाले को ही देते हैं।
माधव मन लगाकर पढ़ाई करने लगा। परीक्षाफल आया तो वह अपनी कक्षा में पहले स्थान पर था।

 

राजा का आदेश कहानी 

 

बहुत पुरानी बात है। चंदनपुर में राजा तेज प्रताप सिंह का राज्य था। वे बहुत दयालु एवं परोपकारी थे। उनके राज्य में प्रजा बहुत खुश थी। सभी लोग धनवान थे। किसी को किसी वस्तु की कमी नहीं थी। सभी मिलजुलकर रहते थे।

एक बार राजा तेज प्रताप सिंह जंगल में घूमने गये। वहां उन्होंने तरह तरह के जानवर देखे। शेर, चीते , भालू , हिरन और खरगोश देखने में बहुत सुन्दर लग रहे थे। राजा ने सोचा –इतने सुन्दर जानवरों को चंदनपुर के लोग देखेंगे ,तो बहुत खुश होंगे। इसलिए राजा ने जानवरों से कहा कि वे चंदनपुर चलें। चंदनपुर में उनका विशेष ध्यान रखा जायेगा।

हिरन और खरगोश डर के कारण चंदनपुर नहीं आये। शेर , चीते और भालू चंदनपुर आ गये। लोगों ने उन्हें देखा तो बहुत अच्छा लगा। बच्चे उन्हें देखकर खुश भी हुए किन्तु उनको थोड़ा थोड़ा डर भी लगा।

रात को जब सभी लोग सो जाते ,तब शेर ,चीते और भालू किसी की गाय , किसी की भैंस और किसी की बकरी को खा जाते। जब लोगों को मालूम हुआ तो उन्होंने राजा से शेर , चीते और भालू की शिकायत की। राजा ने कहा जो मिलजुलकर नहीं रहे और दूसरों का नुकसान करे उसको दूर भगा देना ही ठीक रहता है। राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि वे शेर , चीते और भालू को जंगल की ओर भगा दें। सैनिकों ने तीर मारकर शेर , चीते और भालू को जंगल की ओर भागने के लिए मजबूर कर दिया। जो दूसरों का नुकसान करे , उसको अपने साथ कोई भी नहीं रखना चाहेगा। शेर , चीते और भालू अब जंगल में ही रहते हैं। उनके जाने के बाद चंदनपुर के लोग फिर से सुख से रहने लगे।

 

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