कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 28 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 28)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 28 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 28) पढ़े सुने जो प्रेम से, वह हो जाये शुद्ध स्वरुप । यह अठ्ठाईसवाँ अध्याय, कार्तिक कथा अनूप ॥ धर्मदत्त ने पूछा- मैंने सुना है कि जय और विजय भी भगवान विष्णु के द्वारपाल हैं। उन्होंने पूर्वजन्म में ऐसा कौन सा पुण्य किया था जिससे … Read more