(व्यंग्य) एक लड़की, पाँच दीवाने – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक लड़की, पाँच दीवाने – हरिशंकर परसाई

Contents1 दीवाना नम्बर 12 दीवाना नम्बर 23 दीवाना नंबर 34 दीवाना नंबर 45 दीवाना नंबर 5 (व्यंग्य) एक लड़की, पाँच दीवाने – हरिशंकर परसाई गोर्की की कहानी है, ‘26 आदमी और एक लड़की’। इस लड़की की कहानी लिखते मुझे वह कहानी याद आ गयी। रोटी के एक पिंजड़ानुमा कारखाने में 26 मजदूर सुअर से भी … Read more

(व्यंग्य) ओ. हेनरी – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) ओ. हेनरी – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) ओ. हेनरी – हरिशंकर परसाई उस आदमी का वास्तविक नाम ओ. हेनरी नहीं था । अमेरिका में शिकागो के एक बैंक में एक आदमी काम करता था । वह गबन के अपराध में जेल गया। जेल में वक्त काटने के लिए वह कहानियाँ लिखने लगा। उसने अपना नाम ओ. हेनरी रख लिया। वह मशहूर … Read more

(व्यंग्य) कंधे श्रवणकुमार के – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कंधे श्रवणकुमार के – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कंधे श्रवणकुमार के – हरिशंकर परसाई एक सज्जन छोटे बेटे की शिकायत करते हैं – कहना नहीं मानता और कभी मुँहजोरी भी करता है। और बड़ा लड़का? वह तो बड़ा अच्छा है। पढ़-लिखकर अब कहीं नौकरी करता है। सज्जन के मत में दोनों बेटों में बड़ा फर्क है और यह फर्क कई प्रसंगों में … Read more

(व्यंग्य) कबिरा आप ठगाइए…-हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कबिरा आप ठगाइए…-हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कबिरा आप ठगाइए…-हरिशंकर परसाई मनुष्य का जीवन यों बहुत दुखमय है, पर इसमें कभी-कभी सुख के क्षण आते रहते हैं। एक क्षण सुख का वह होता है, जब हमारी खोटी चवन्नी चल जाती है या हम बगैर टिकट बाबू से बचकर निकल जाते हैं। एक सुख का क्षण वह होता है, जब मोहल्ले की … Read more

(व्यंग्य) कबीर का स्मारक बनेगा – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कबीर का स्मारक बनेगा – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कबीर का स्मारक बनेगा – हरिशंकर परसाई साधो, हिन्दू और मुसलमान एक ही सार्वजनिक संडास में जा सकते हें, दस्त के मामले में भाई-भाई होते हैं। मगर कबीरदास की मुसलमानो ने मजार बना ली थी और हिन्दुओं ने समाधि बना ली थी । और दोनों के बीच में एक दीवार खडी कर ली थी … Read more

व्यंग्य- क्रांतिकारी की कथा – हरिशंकर परसाई

व्यंग्य- क्रांतिकारी की कथा – हरिशंकर परसाई

व्यंग्य- क्रांतिकारी की कथा – हरिशंकर परसाई   ‘क्रांतिकारी’ उसने उपनाम रखा था। खूब पढ़ा-लिखा युवक। स्वस्थ सुंदर। नौकरी भी अच्छी। विद्रोही। मार्क्स-लेनिन के उद्धरण देता, चे ग्वेवारा का खास भक्त। कॉफी हाउस में काफी देर तक बैठता। खूब बातें करता। हमेशा क्रांतिकारिता के तनाव में रहता। सब उलट-पुलट देना है। सब बदल देना है। … Read more

लघु व्यंग्य, कथाएँ – हरिशंकर परसाई

लघु व्यंग्य, कथाएँ – हरिशंकर परसाई

Contents1 1. बाएं क्यों चलें?2 2. अकाल-उत्सव3 3. वात्सल्य लघु व्यंग्य, कथाएँ – हरिशंकर परसाई     1. बाएं क्यों चलें? साधो हमारे देश का आदमी नियम मान ही नहीं सकता। वह मुक्त आत्मा है। वह सड़क के बीच चलकर प्राण दे देगा, पर बाएं नहीं चलेगा। मरकर स्वर्ग पहुंचेगा, तो वहां भी सड़क के … Read more

व्यंग्य- अध्यक्ष महोदय (मिस्टर स्पीकर) – हरिशंकर परसाई

व्यंग्य- अध्यक्ष महोदय (मिस्टर स्पीकर) – हरिशंकर परसाई

व्यंग्य- अध्यक्ष महोदय (मिस्टर स्पीकर) – हरिशंकर परसाई विधानमंडलों में थोड़ी नोंक-झोंक, दिलचस्प टिप्पणी, रिमार्क, हल्की-फुल्की बातें सब कहीं चलती हैं। जब अंग्रेज सरकार थी, तब केंद्र में ‘सेंट्रल असेंबली’ थी। इसमें बड़े जबरदस्त लोग थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई विट्ठल भाई पटेल अध्यक्ष थे। असेंबली के अधिवेशन के पहले उन्होंने देखा, … Read more

व्यंग्य- अनुशासन – हरिशंकर परसाई

व्यंग्य- अनुशासन – हरिशंकर परसाई

व्यंग्य- अनुशासन – हरिशंकर परसाई एक अध्यापक था। वह सरकारी नौकरी में था ।मास्टर की पत्नी बीमार थी । अस्पताल में थी। तभी उसके तबादले का ऑर्डर हो गया। शिक्षा विभाग के बड़े साहब उसी मुहल्ले में रहते थे। उसका बंगला मास्टर के घर से दिखता था। वह उनजे बंगले के सामने से निकलता तो … Read more

लेख-अंधविश्वास से वैज्ञानिक दृष्टि – हरिशंकर परसाई

लेख-अंधविश्वास से वैज्ञानिक दृष्टि – हरिशंकर परसाई

लेख-अंधविश्वास से वैज्ञानिक दृष्टि – हरिशंकर परसाई मेरे एक मित्र को पीलिया हो गया था। वे अस्पताल में भर्ती थे। प्रभावशाली आदमी थे। सब डॉक्टर लगे थे। एक दिन मैं देखने गया तो पाया कि वे पानी की थाली में हथेलियां रखे हैं, और एक पण्डित मंत्र पढ़ रहा है। कार्यक्रम खत्म होने पर मैंने … Read more