गिरगिट के रंग-कहानी- हिमांशु जोशी
गिरगिट के रंग-कहानी- हिमांशु जोशी आज फिर दीये जले। इनके जलते ही न जाने क्यों रक्त जमने लगता है! साँस रुक-सी आती है। रोम-रोम काँप उठता है। आँखों के आगे अंधकार छा जाता है। फिर कुछ भी नहीं सूझता। कुछ भी नहीं दीखता। भगवान्! या तो ये दीये न जला या यह जीवन-दीप ही एक … Read more