यह राजधानी – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी)

यह राजधानी – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी)

यह राजधानी – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी) इतने बड़े देश की इतनी बड़ी राजधानी। और इसे धुन्ध ने पूरी तरह निगल लिया था। बस स्टॉप के शेड और उसके नीचे बसों की प्रतीक्षा करने वाले दो-चार मुसाफिरों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिखाई देता था। केवल दाईं ओर अकबर होटल का धुंधला आकार धुन्ध में … Read more

अढाई घंटे – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी)

अढाई घंटे – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी)

अढाई घंटे – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी) हम स्टेशन पहुँचे तो अँधेरा हो चुका था। पहुँचते ही हमने आरक्षण-चार्ट पर दृष्टि डाली। लेकिन यहाँ भी दुर्भाग्य के ही दर्शन हुए। वेटिंग-लिस्ट में जिन भाग्यवानों के नाम मेरे दोस्त से पहले दर्ज थे उन का आरक्षण हो चुका था। लेकिन मेरे ही दोस्त को जाने किस … Read more