यह राजधानी – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी)
यह राजधानी – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी) इतने बड़े देश की इतनी बड़ी राजधानी। और इसे धुन्ध ने पूरी तरह निगल लिया था। बस स्टॉप के शेड और उसके नीचे बसों की प्रतीक्षा करने वाले दो-चार मुसाफिरों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिखाई देता था। केवल दाईं ओर अकबर होटल का धुंधला आकार धुन्ध में … Read more