(व्यंग्य) उदात्त मन की आखिरी कमजोरी- हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) उदात्त मन की आखिरी कमजोरी-  हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) उदात्त मन की आखिरी कमजोरी- हरिशंकर परसाई एक किंचित् कवि, किंचित् समाजसेवी को मकान की जरूरत थी। मकान कलेक्टर आवंटित करता है। कलेक्टर के बारे में यह आम राय थी कि वह खुशामदपसन्द नहीं है । वैसे जिसे खुशामद पसन्द नहीं है, उसकी खुशामद यह कहकर की जा सकती है कि आप खुशामद पसन्द … Read more

(व्यंग्य) एक अशुद्ध बेवकूफ – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक अशुद्ध बेवकूफ – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक अशुद्ध बेवकूफ – हरिशंकर परसाई बिना जाने बेवकूफ बनाना एक अलग और आसान चीज है। कोई भी इसे निभा देता है। मगर यह जानते हुए कि मैं बेवकूफ बनाया जा रहा हूं और जो मुझे कहा जा रहा है, वह सब झूठ है- बेवकूफ बनते जाने का एक अपना मजा है। यह तपस्या … Read more

(व्यंग्य) एक और जन्म-दिन- हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक और जन्म-दिन- हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक और जन्म-दिन- हरिशंकर परसाई मेरी जन्म-तीथि जन्ममास के पहलेवाले महीने में छपी थी। अगस्त के एक दिन सुबह कमरे में घुसा तो देखा, एक बंधु बैठे हैं और कुछ सकुचा-से रहे हैं। और वक़्त मिलते थे तो बड़ी बेतक़ल्लूफ़ी से हँसी-मज़ाक करते थे। उस दिन बहुत गंभीर बैठे थे, जैसे कोई बुरी खबर … Read more

(व्यंग्य) एक गौभक्त से भेंट- हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक गौभक्त से भेंट- हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक गौभक्त से भेंट- हरिशंकर परसाई एक शाम रेलवे स्टेशन पर एक स्वामीजी के दर्शन हो गए। ऊँचे, गोरे और तगड़े साधु थे। चेहरा लाल। गेरुए रेशमी कपड़े पहने थे। साथ एक छोटे साइज़ का किशोर संन्यासी था। उसके हाथ में ट्रांजिस्टर था और वह गुरु को रफ़ी के गाने के सुनवा रहा था। … Read more

(व्यंग्य) एक मध्यमवर्गीय कुत्ता – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य)  एक मध्यमवर्गीय कुत्ता – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक मध्यमवर्गीय कुत्ता – हरिशंकर परसाई मेरे मित्र की कार बँगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा, ‘इनके यहाँ कुत्ता तो नहीं है?’ मित्र ने कहा, ‘तुम कुत्ते से बहुत डरते हो!’ मैंने कहा, ‘आदमी की शक्ल में कुत्ते से नहीं डरता। उनसे निपट लेता हूँ। पर सच्चे कुत्ते से बहुत डरता हूँ।’ … Read more

(व्यंग्य) एक लड़की, पाँच दीवाने – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक लड़की, पाँच दीवाने – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) एक लड़की, पाँच दीवाने – हरिशंकर परसाई गोर्की की कहानी है, ‘26 आदमी और एक लड़की’। इस लड़की की कहानी लिखते मुझे वह कहानी याद आ गयी। रोटी के एक पिंजड़ानुमा कारखाने में 26 मजदूर सुअर से भी बदतर हालत में रहते और काम करते हैं। मालिक की जवान लड़की जब निकलती है, वे … Read more

(व्यंग्य) ओ. हेनरी – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) ओ. हेनरी – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) ओ. हेनरी – हरिशंकर परसाई उस आदमी का वास्तविक नाम ओ. हेनरी नहीं था । अमेरिका में शिकागो के एक बैंक में एक आदमी काम करता था । वह गबन के अपराध में जेल गया। जेल में वक्त काटने के लिए वह कहानियाँ लिखने लगा। उसने अपना नाम ओ. हेनरी रख लिया। वह मशहूर … Read more

(व्यंग्य) कंधे श्रवणकुमार के – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कंधे श्रवणकुमार के – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कंधे श्रवणकुमार के – हरिशंकर परसाई एक सज्जन छोटे बेटे की शिकायत करते हैं – कहना नहीं मानता और कभी मुँहजोरी भी करता है। और बड़ा लड़का? वह तो बड़ा अच्छा है। पढ़-लिखकर अब कहीं नौकरी करता है। सज्जन के मत में दोनों बेटों में बड़ा फर्क है और यह फर्क कई प्रसंगों में … Read more

(व्यंग्य) कबिरा आप ठगाइए…-हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कबिरा आप ठगाइए…-हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कबिरा आप ठगाइए…-हरिशंकर परसाई मनुष्य का जीवन यों बहुत दुखमय है, पर इसमें कभी-कभी सुख के क्षण आते रहते हैं। एक क्षण सुख का वह होता है, जब हमारी खोटी चवन्नी चल जाती है या हम बगैर टिकट बाबू से बचकर निकल जाते हैं। एक सुख का क्षण वह होता है, जब मोहल्ले की … Read more

(व्यंग्य) कबीर का स्मारक बनेगा – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कबीर का स्मारक बनेगा – हरिशंकर परसाई

(व्यंग्य) कबीर का स्मारक बनेगा – हरिशंकर परसाई साधो, हिन्दू और मुसलमान एक ही सार्वजनिक संडास में जा सकते हें, दस्त के मामले में भाई-भाई होते हैं। मगर कबीरदास की मुसलमानो ने मजार बना ली थी और हिन्दुओं ने समाधि बना ली थी । और दोनों के बीच में एक दीवार खडी कर ली थी … Read more