(व्यंग्य) उदात्त मन की आखिरी कमजोरी- हरिशंकर परसाई
(व्यंग्य) उदात्त मन की आखिरी कमजोरी- हरिशंकर परसाई एक किंचित् कवि, किंचित् समाजसेवी को मकान की जरूरत थी। मकान कलेक्टर आवंटित करता है। कलेक्टर के बारे में यह आम राय थी कि वह खुशामदपसन्द नहीं है । वैसे जिसे खुशामद पसन्द नहीं है, उसकी खुशामद यह कहकर की जा सकती है कि आप खुशामद पसन्द … Read more