कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 4 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 4

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 4 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 4

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 4 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 4   नारदजी ने कहा: ऎसा कहकर भगवान विष्णु मछली का रूप धारण कर के आकाश से जल में गिरे। उस समय विन्ध्याचल पर्वत पर तप कर रहे महर्षि कश्यप अपनी अंजलि में जल लेकर खड़े थे। भगवान उनकी अंजलि में जा गिरे। महर्षि … Read more

करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी (Karwa Chauth Vrat Katha

करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी (Karwa Chauth Vrat Katha

करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी (Karwa Chauth Vrat Katha   साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी | करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा श्री गणेशाय नमः ! एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि … Read more

भैया दूज पौराणिक कथा (Bhaiya Dooj Pauranik Katha

भैया दूज पौराणिक कथा (Bhaiya Dooj Pauranik Katha

भैया दूज पौराणिक कथा (Bhaiya Dooj Pauranik Katha   भैया दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भैया दूज की पौराणिक कथा इस प्रकार से है… भैया दूज … Read more

भैया दूज लोक कथा (Bhaiya Dooj Lauk Katha)

भैया दूज लोक कथा (Bhaiya Dooj Lauk Katha)

भैया दूज लोक कथा (Bhaiya Dooj Lauk Katha) एक बुढ़िया माई थीं, उसके सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी कि शादी हो चुकी थी। जब भी उसके बेटे कि शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता था। बेटे कि वही म्रत्यु हो जाती और बहू विधवा, इस … Read more

चित्रगुप्त की कथा – यम द्वितीया (Chitragupt Ji Ki Katha – Yam Dwitiya

चित्रगुप्त की कथा – यम द्वितीया (Chitragupt Ji Ki Katha – Yam Dwitiya

चित्रगुप्त की कथा – यम द्वितीया (Chitragupt Ji Ki Katha – Yam Dwitiya   यम द्वितिया, कार्तिक द्वितीया अथवा भैया दूज पर श्री चित्रगुप्त जी की पढ़ी जाने वाली पौराणिक कथा, पूजन एवं विधि.. मंत्री श्री धर्मराजस्य चित्रगुप्त: शुभंकर: । पायान्मां सर्वपापेभ्य: शरणागत वत्सल: ॥ एक बार युधिष्ठिरजी भीष्मजी से बोले: हे पितामह! आपकी कृपा … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 17 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 17

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 17 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 17

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 17 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 17   भक्ति से भरे भाव हे हरि मेरे मन उपजाओ । सत्रहवां अध्याय कार्तिक, कृपा दृष्टि कर जाओ ॥ उस समय शिवजी के गण प्रबल थे और उन्होंने जलन्धर के शुम्भ-निशुम्भ और महासुर कालनेमि आदि को पराजित कर दिया। यह देख कर सागर … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 7 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 7

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 7 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 7

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 7 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 7   नारद जी ने कहा: हे राजन! कार्तिक मास में व्रत करने वालों के नियमों को मैं संक्षेप में बतलाता हूँ, उसे आप सुनिए। व्रती को सब प्रकार के आमिष मांस, उरद, राई, खटाई तथा नशीली वस्तुओं का त्याग कर देना चाहिए। व्रती … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 8 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 8

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 8 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 8

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 8 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 8 जिसकी दया से सरस्वती, भाव रही उपजाय । कार्तिक माहात्म का ‘कमल’ लिखे आठवाँ अध्याय ॥ नारदजी बोले- अब मैं कार्तिक व्रत के उद्यापन का वर्णन करता हूँ जो सब पापों का नाश करने वाला है। व्रत का पालन करने वाला मनुष्य कार्तिक … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 9 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 9

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 9 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 9

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 9 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 9   राजा पृथु ने कहा: हे मुनिश्रेष्ठ नारद जी! आपने कार्तिक माह के व्रत में जो तुलसी की जड़ में भगवान विष्णु का निवास बताकर उस स्थान की मिट्टी की पूजा करना बतलाया है, अत: मैं श्री तुलसी जी के माहात्म्य को सुनना … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 10 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 10

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 10 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 10

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 10 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 10   राजा पृथु बोले – हे ऋषिश्रेष्ठ नारद जी! आपको प्रणाम है। कृपया अब यह बताने की कृपा कीजिए कि जब भगवान शंकर ने अपने मस्तक के तेज को क्षीर सागर में डाला तो उस समय क्या हुआ? नारद जी बोले – हे … Read more