अढाई घंटे – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी)
अढाई घंटे – हरिकृष्ण कौल (कश्मीरी कहानी) हम स्टेशन पहुँचे तो अँधेरा हो चुका था। पहुँचते ही हमने आरक्षण-चार्ट पर दृष्टि डाली। लेकिन यहाँ भी दुर्भाग्य के ही दर्शन हुए। वेटिंग-लिस्ट में जिन भाग्यवानों के नाम मेरे दोस्त से पहले दर्ज थे उन का आरक्षण हो चुका था। लेकिन मेरे ही दोस्त को जाने किस … Read more