लघुकथाएँ : त्रिलोक सिंह ठकुरेला

लघुकथाएँ : त्रिलोक सिंह ठकुरेला

लघुकथाएँ -त्रिलोक सिंह ठकुरेला | Laghu-Kathayen-Trilok Singh Thakurela   घरवाली रामप्रसाद ने घर में प्रवेश किया तो उसके पैर और जुबान दोनों लड़खड़ा रहे थे। ” कुछ तो बच्चों का ख़याल करो। इन पर क्या असर पडेगा। ” विनीता ने सहज भाव से कहा। दोनों बच्चे नींद में बेख़बर थे। ” बकवास बंद कर। ” … Read more