रूप : आचार्य चतुरसेन शास्त्री
रूप : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Roop : Acharya Chatursen Shastri उस रूप की बात मैं क्या कहूँ ? काले बालों की रात फैल रही थी और मुखचन्द्र की चाँदनी छिटक रही थी, उस चाँदनी में वह खुला धरा था। सोने के कलसों में भरा हुआ था जिनका मुँह खूब कस कर बँध रहा था, फिर …