मरकर भी पुनः जिन्दा हो गयी श्रीमती सिंह

श्री नीम करोली बाबा जी के प्रिय भक्त श्री केहर सिंह जी की पत्नी को गंभीर संग्रहणी (इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम-IBS-Irritable Bowel Syndrome) रोग हो गया था। सभी संभव प्रयास किये गए परन्तु कोई भी चिकित्सा कारगर नहीं ठहर पा रहा था । अब उनका किसी भी प्रकार से ठीक हो पाना संभव नहीं लग रहा था। सारी उम्मीद समाप्तप्राय हो चुकी थी। केहर सिंह जी जीवनसाथी के जाने की संभावना के साथ साथ अपने बच्चों के भविष्य की भी चिंता सता रही थी कि उन्हें अब कौंन संभालेगा। अब उनकी आस केवल बाबा पर ही टिकी थी। मन ही मन तो वह पत्नी को बचाने कि प्रार्थना कर ही रहे थे।

केहर सिंह जी लखनऊ में थे परन्तु उसी समय बाबा के एक अन्य भक्त श्री आर पी सिंह जी नैनीताल बाबा श्री नीम करोली जी से मिलने जा रहे थे। उन्होने केहर सिंह जी करुण व्यथा पुकार श्री महाराज जी तक पहुंचाई।

केहर सिंह जी के पत्नी की बीमारी और उनके गुहार के बारे में सुनकर बाबा ने बस इतना भर कहा कि ,” इसमें कहने की क्या बात है ? केहर सिंह हमारा भक्त है। “

इधर नैनीताल केहर सिंह जी की बीमारी का समाचार पहुंचा और उधर थोड़े समय में उनकी पत्नी का शरीर शांत हो गया । उसी समय कैंची आश्रम में महाराज जी एक अन्य भक्त श्रीमती कमला सोनी से बोल उठे ,”केहर सिंह की पत्नी मर गई है। वह बहुत दुखी है पर हम ऐसा नही होने देंगे । केहर सिंह हमारा भक्त है ।”

दूर की बात बिना प्रयास जान लेना एक महान सिद्धि की बात है परन्तु व्यक्ति के मृत हो जाने पर भी हम ऐसा नहीं होने देंगे कहने वाले भक्त वत्सल महाराज जी की कृपालुता अपरम्पार है।

फिर अपनी लीला पर पर्दा डालते हुए बाबा ने केहर सिंह जी की लड़की कुसुम के माध्यम से एक अद्भुत खेल रचा। लखनऊ में सिंह साहब की कन्या कुसुम किसी अज्ञात प्रेरणा के वशीभूत होकर उठी और एक ओर राखी कुछ बायोकेमिक दवाओं का कुछ मिश्रण अपनी माता श्रीमती सिंह के मुख में डाल दिया। मृत शरीर जड़वत होने के कारण दवाई कुछ जाती हुयी न प्रतीत हुयी। सबका रो रो कर बुरा हाल था। परन्तु बाबा की लीला अपन काम कर रही थी। लगभग ४०-४५ मिनट मृत रहने के बाद श्रीमती सिंह पुनः जीवित हो उठी।

बाबा का चमत्कार घटित हो चुका था। इलाज करने वाले डॉक्टर को जब केहर सिंह जी ने धन्यवाद दिया तो डॉक्टर ने बड़ी साफगोई से बोला की इसमें मेरा कोई हाथ नहीं सब आपके श्रद्धेय महाराज जी की कृपा से हुआ है वरना मरने के बाद कोई दुबारा जीवित नहीं होता है।

यह सारी लीला बाबा श्री नीम करोली जी महाराज जी की थी। महाराज जी अपने प्रिय भक्त के लिए उसकी पत्नी को मृत्यु के पार से भी खींच के वापस लाये थे।

जय नीम करौली जी महाराज

आलौकिक यथार्थ

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