आषाढ़ शुक्ल-देवशयनी-पद्मा-हरिशयनी एकादशी

आषाढ़ शुक्ल-देवशयनी-पद्मा-हरिशयनी एकादशी आषाढ़ शुक्ल एकादशी एक अत्यंत महत्वपूर्ण एकादशी है क्योंकि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और शायद धार्मिक व्रतों के पालन की सबसे लंबी अवधि की शुरुआत का प्रतीक है। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है अर्थात 4 महीने की अवधि। लोग भगवान के सामने किए गए अलग-अलग व्रतों का पालन करते हैं और देवोत्थान एकादशी …

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कौन थी कुब्जा, श्री कृष्ण से क्या था इनका रिश्ता?

कौन थी कुब्जा, श्री कृष्ण से क्या था इनका रिश्ता? श्री कृष्ण का नाम है इतना मनमोहक हैं कि इसके जुबां पर आते ही इंसान अपने समस्त प्रकार के दुख-दर्द भूला कर इनकी लुभावनी सूरत में खो जाता है। अगर हिंदू धर्म के ग्रंथों की बात करें तो इसमें इनके स्वरूप का किया वर्णन उपरोक्त …

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श्री राधा परिचय -जब कंस को स्त्री बना दिया

श्री राधा परिचय -जब कंस को स्त्री बना दिया परमात्मा श्रीकृष्ण का वाम अंग ही श्री राधा (Radha) का स्वरूप है। ये ब्रह्म के समान ही गुण और तेज से सम्पन्न हैं; इसीलिए इन्हें परावरा, सारभूता, परमाद्या, सनातनी, परमानन्दरूपा, धन्या, मान्या और पूज्या कहा जाता है। तुम समरथ सर्वज्ञ किशोरीजानत हो घट घट की।महाशक्ति महामाया तुम होछाया …

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गंगा जल का प्यासा प्रेत

गंगा जल और प्रेत की प्यास – बात पुराने समय की है गंगा , यमुना , सरस्वती के पावन संगम की नगरी, प्रयागराज से लगभग 5 कोस की दूरी पर एक ब्राह्मण रहता था। (पुराने समय में दूरी के लिए कोस शब्द का ही प्रयोग होता था अंग्रेजों के आ जाने के बाद किलोमीटर मीट्रिक …

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साधु अवज्ञा का फल ऐसा-एक सत्यकथा

साधु अवज्ञा का फल ऐसा , जरै नगर अनाथ के जैसा विरक्त सन्यासी साधु की अवज्ञा या अवमानना करने का फल बड़ा ही भयानक होता है। श्री रामचिरतमानस में दी हुयी पंक्तियाँ, “साधु अवग्या कर फलु ऐसा। जरइ नगर अनाथ कर जैसा॥” श्री विभीषण जी के बारे में लिखी हुयी है इसका अर्थ यह हैं कि …

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बनें सो रघुवर सों बनें, कै बिगरे भरपूर

बनें सो रघुवर सों बनें, कै बिगरे भरपूर हम चाकर रघुवीर के– “हम चाकर रघुवीर के, पटौ लिखौ दरबार;अब तुलसी का होहिंगे नर के मनसबदार? अर्थ: हमारी नौकरी तो एकमात्र श्री रघुवीर राम जी के प्रति है और उन्हीं। के दरबार में हमारा न।लिखा है । अब ऐसे दैवीय भगवान का सेवक होना छोड़कर क्या …

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बालक कृष्ण चरित्र – गो चारण की इच्छा: Krishna Charitra Gocharan kiIchchha

बालक कृष्ण रोज़ अपने परिवार के व पास-पड़ोस के सभी पुरुषों को, थोड़ी बड़ी उम्र के लड़कों को गाय चराने जाते देखते तो उनका भी मन करता पर मैया यशोदा उन्हें मना कर देती कि अभी तू छोटा है, थोड़ा बड़ा हो जा फिर जाने दूँगी। एक दिन बलराम जी को गाय चराने जाते देख कर लाला …

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साधु और पनिहारिन (Sadhu aur Paniharin)

एक साधू किसी नदी के पनघट पर गया और पानी पीकर पत्थर पर सिर रखकर सो गया….!!! पनघट पर पनिहारिन आती-जाती रहती हैं!!!तो आईं तो एक ने कहा- “आहा! साधु हो गया, फिर भी तकिए का मोह नहीं गया…पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है।” पनिहारिन की बात साधु ने सुन ली…उसने तुरंत पत्थर …

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सुदामाजी को गरीबी क्यों मिली?

एक ब्राह्मणी थी जो बहुत निर्धन थी। भिक्षा माँग कर जीवन-यापन करती थी।एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिच्छा नहीं मिली। वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी। छठवें दिन उसे भिक्षा में दो मुट्ठी चना मिले । कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी। ब्राह्मणी ने सोंचा …

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वैशाख कृष्ण एकादशी-वरुथिनी एकादशी

वरुथिनी एकादशी हिंदू चंद्र कैलेंडर के कृष्ण पक्ष (ढलते चंद्रमा चरण) के दूसरे महीने- वैशाख में मनाई जाती है। एक बार पांडव राजा युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से वैशाख कृष्ण एकादशी के बारे में पूछा। उन्होंने कहा, “प्रिय भगवान, कृपया हमें वैशाख कृष्ण एकादशी, इसकी विधि और इस व्रत को करने से प्राप्त होने वाले पुण्य …

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