साधु और पनिहारिन (Sadhu aur Paniharin)

एक साधू किसी नदी के पनघट पर गया और पानी पीकर पत्थर पर सिर रखकर सो गया….!!! पनघट पर पनिहारिन आती-जाती रहती हैं!!!तो आईं तो एक ने कहा- “आहा! साधु हो गया, फिर भी तकिए का मोह नहीं गया…पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है।” पनिहारिन की बात साधु ने सुन ली…उसने तुरंत पत्थर …

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सुदामाजी को गरीबी क्यों मिली?

एक ब्राह्मणी थी जो बहुत निर्धन थी। भिक्षा माँग कर जीवन-यापन करती थी।एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिच्छा नहीं मिली। वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी। छठवें दिन उसे भिक्षा में दो मुट्ठी चना मिले । कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी। ब्राह्मणी ने सोंचा …

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वैशाख कृष्ण एकादशी-वरुथिनी एकादशी

वरुथिनी एकादशी हिंदू चंद्र कैलेंडर के कृष्ण पक्ष (ढलते चंद्रमा चरण) के दूसरे महीने- वैशाख में मनाई जाती है। एक बार पांडव राजा युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से वैशाख कृष्ण एकादशी के बारे में पूछा। उन्होंने कहा, “प्रिय भगवान, कृपया हमें वैशाख कृष्ण एकादशी, इसकी विधि और इस व्रत को करने से प्राप्त होने वाले पुण्य …

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जगन्नाथ प्रभु को कर्माबाई की खिचड़ी का भोग कैसे लगा ?

जगन्नाथ प्रभु को कर्माबाई की खिचड़ी का भोग कैसे लगा ? लगभग एक हजार वर्ष पूर्व झांसी उत्तर प्रदेश में श्री रामशाह प्रतिष्ठित तेल व्यापारी थे। वे एक समाज सुधारक, दयालु, धर्मात्मा एवं परोपकारी व्यक्ति थे। उनकी पत्नी को शुभ नक्षत्र, मे चैत्र माह के क्रष्ण-पक्ष की एकादशी को संवत 1073 विक्रम में एक कन्या …

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लंगड़ा आम नाम पड़ने की कहानी

शिवभक्ति का प्रसाद है ये आम करीब तीन सौ साल पहले एक शिवभक्त वाराणसी में रहते थे। ऐसा होता है ना की आप जब आपके इष्ट की भक्ति करते है आराधना करते है तो आपने स्वयं एक अद्भुत सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बहने लगता है। तो उन शिवभक्त के स्वभाव में सकारात्मक ऊर्जा भरपूर थी, …

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गर्मी में अचानक कड़कड़ाती ठंडी का मौसम हो गया

होत्रिदत्त शर्मा की बेटी का विवाह 18 जून 1973 को होना था। 15 जून को, शर्मा बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए कैंची (नैनीताल के निकट हिमालय स्थित आश्रम) गए और उन्हें कन्या के विवाह समारोह में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया। बाबा ने उससे कहा, “पंडित, मुझे कुछ बताओ जो मैं कर सकता …

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बाबा कृष्णदास जी:जब विरह की अग्नि में सचमुच शरीर जल गया

बाबा कृष्णदास जी:जब विरह की अग्नि में सचमुच शरीर जल गया बाबा कृष्णदास जी वृन्दावन में वास करते हुए श्री राधारानी जी की भक्ति करते थे। सच्चा भक्त होते हुए भी उनसे एक भूल हो गयी और परिणामस्वरूप उन्हें विरह की अग्नि (Virah Ki Agni) में जलना पड़ा। यह विरह की अग्नि सचमुच ही प्रकट हो गयी …

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भक्त की परीक्षा-भगवान शालिग्राम का चमत्कार | Bhakt ki Pariksha-Bhagwan Shaligram

कृष्णनगर के पास एक गांव में एक ब्राह्मण रहते थे। वे ब्राह्मण पुरोहिती का काम करते थे। एक दिन यज़मान के यहाँ पूजा कराकर घर लौटते समय उन्होंने रास्ते में देखा की एक मालिन (सागवाली) एक ओर बैठी साग बेच रही है। भीड़ लगी है कोई साग तुलवा रहा है तो कोई मोल कर रहा …

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