जीवन सार (आत्मकथा) : प्रेमचन्द
जीवन सार (आत्मकथा) : प्रेमचन्द Jeevan Saar (Autobiography) : Munshi Premchand १ मेरा जीवन सपाट, समतल मैदान है, जिसमें कहीं-कहीं गढ़े तो हैं, पर टीलों, पर्वतों, घने जंगलों, गहरी घाटियों और खण्डहरों का स्थान नहीं है। जो सज्जन पहाड़ों की सैर के शौकीन हैं, उन्हें तो यहाँ निराशा ही होगी। मेरा जन्म सम्वत् १९६७ में …